पलामू: ‘नेशनल हेराल्ड’ केस में ईडी की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस का हल्लाबोल, भाजपा कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन

मेदिनीनगर (पलामू) | 18 दिसंबर, 2025 संवाददाता

​झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार, पलामू जिला कांग्रेस कमेटी ने गुरुवार को केंद्र सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार देते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीसफुटा स्थित भाजपा जिला कार्यालय का घेराव किया और जमकर नारेबाजी की।

संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप

​प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही जिला अध्यक्ष बिमला कुमारी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा:

​”केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं को अपना ‘टूलकिट’ बना चुकी है। बिना किसी ठोस एफआईआर के विपक्षी नेताओं, विशेषकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रताड़ित करना लोकतंत्र की हत्या है। अदालत के हालिया रुख ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है।”

 

प्रमुख नेताओं की मौजूदगी

​इस विरोध प्रदर्शन में जिले के कई वरिष्ठ नेता और सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर “लोकतंत्र की रक्षा करो” और “बदले की राजनीति बंद करो” जैसे नारे लगाए।

प्रदर्शन में शामिल मुख्य चेहरे:

  • बिमला कुमारी (जिला अध्यक्ष)
  • बिट्टू पाठक (पूर्व जिला अध्यक्ष)
  • वरिष्ठ नेता: सत्यानंद दुबे, रामदेव यादव, अलख निरंजन चौबे, सुरेश पाठक।
  • संगठनात्मक पदाधिकारी: मिथिलेश सिंह, गोपाल पासवान, रविन्द्र तिवारी, मुकेश सिंह, गोपाल त्रिपाठी।
  • प्रवक्ता: गोपाल सिंह, रंजन दुबे, अनिल सिंह।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

​भाजपा कार्यालय के पास कांग्रेस के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति या भाजपा-कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच सीधा टकराव न हो।

पृष्ठभूमि

​हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा दायर चार्जशीट पर संज्ञान लेने से मना कर दिया था, जिसके बाद से ही कांग्रेस इसे अपनी नैतिक और कानूनी जीत बताकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि जब कोई वित्तीय हेराफेरी हुई ही नहीं, तो जांच के नाम पर शीर्ष नेतृत्व को घंटों बैठाना केवल मानसिक उत्पीड़न का जरिया है।

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Author: haqeeqatnaama