रांची, 07 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज़ ने झारखंड की जेलों में बंदियों, विशेषकर महिला बंदियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के ध्वस्त होने पर राज्य सरकार पर तीखा प्रहार किया है। रविवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने आरोप लगाया कि बुनियादी चिकित्सा सुविधा न मिलना प्रशासनिक अपराध है।
🏥 16,549 बंदियों पर एक भी नियमित नर्स नहीं
राफिया नाज़ ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि झारखंड की जेलों में 16,549 से अधिक बंदी रह रहे हैं, लेकिन एक भी नियमित नर्स की तैनाती नहीं है। उन्होंने इसे सरकार की घोर लापरवाही का प्रमाण बताया।
मूलभूत संकट: नाज़ ने कहा कि महिला बंदियों को बुनियादी चिकित्सा सुविधा भी नसीब नहीं हो रही, जो अत्यंत दर्दनाक स्थिति है।
कोर्ट के आदेश की अवहेलना: उन्होंने याद दिलाया कि झारखंड हाईकोर्ट ने बंदियों के इलाज के लिए सभी स्वास्थ्य पदों को तुरंत भरने का स्पष्ट आदेश दिया था, जिसे सरकार महीनों से ठंडे बस्ते में डाले बैठी है।
एनएचआरसी का नोटिस: उन्होंने आरोप लगाया कि हर बार किसी बंदी की मौत के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) नोटिस भेजता है, लेकिन सरकार की नींद नहीं टूटती।
🤰 महिला और नवजात शिशुओं पर गंभीर खतरा
राफिया नाज़ ने नर्सों की अनुपस्थिति का सबसे संवेदनशील असर महिला कैदियों पर पड़ने की बात कही।
जेल आईजी की गुहार भी बेअसर
राफिया नाज़ ने खुलासा किया कि जेल आईजी ने खुद गृह विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर नर्सों की प्रतिनियुक्ति की मांग की है और यह स्वीकार किया है कि नर्सों की कमी के कारण 24 घंटे इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद, सरकार की कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित है।
📢 भाजपा की मांग
भाजपा प्रवक्ता ने सरकार को कटघरे में 
खड़ा करते हुए कहा कि जो सरकार महिला बंदियों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती, वह संवेदनशील शासन का दावा कैसे कर सकती है। उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग की:
सभी जेलों में तुरंत नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाए।
महिला कैदियों के लिए विशेष मेडिकल सुविधा स्थापित हो।
लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।




