पूर्वी सिंहभूम, 9 दिसंबर (हिं.स.)। एशिया में निर्यात और गुणवत्ता के लिए कभी पहचानी जाने वाली इंकैब इंडस्ट्रीज के वेदांता लिमिटेड को अधिग्रहण किए जाने के एनसीएलटी (NCLT) के आदेश से मजदूर और कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। लगभग 25 वर्षों से बंद पड़ी इस केबल कंपनी को लेकर 3 दिसंबर 2025 को आए इस फैसले को मजदूर संगठनों ने अन्यायपूर्ण बताते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया है।
केबुल संघर्ष समिति ने मंगलवार को जमशेदपुर में आयोजित प्रेस वार्ता में साफ कर दिया कि इस फैसले के खिलाफ वे एनसीएलएटी (NCLAT), उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय तक जाएंगे।
मजदूरों के दावों पर अन्याय का आरोप
केबुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. बीबी महतो, महामंत्री यूके शर्मा, और कोषाध्यक्ष कल्याण साहू ने आरोप लगाया कि:
- एनसीएलटी कोलकाता के आदेश पर 1,655 लेनदारों के कुल ₹46 अरब से अधिक के दावों में से मजदूरों को मात्र छह प्रतिशत राशि देने का प्रावधान किया गया है, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।
- उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि असली कामगारों को नाममात्र की राशि दी जा रही है, जबकि कुछ कथित फर्जी दावेदारों को कई गुना अधिक भुगतान किया जा रहा है।
यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि यह पूरा समाधान प्रस्ताव पूंजीपतियों और फर्जी दावेदारों के हित में बनाया गया है, जिससे लगभग 1500 से अधिक वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। मजदूरों की आर्थिक उम्मीदें पूरी तरह अनिश्चित और अंतहीन हो गई हैं।
आवास को लेकर गंभीर चिंता
कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता उनके आवास को लेकर है। यूनियन ने स्पष्ट किया कि कंपनी की ओर से बनाए गए क्वार्टर और बंगले किसी भी हालत में तोड़े नहीं जाने चाहिए। वेदांता द्वारा पुराने आवासीय परिसरों पर दावे और पुटारा स्टील की ओर से सबलीज के दावे ने मजदूर परिवारों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।
केबुल संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि वेदांता ग्रुप का रिवाइवल प्लान मजदूरों के हित में नहीं है और इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। समिति ने राज्य सरकार से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग की है और चेतावनी दी है कि मजदूर अपने हक की लड़ाई के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। समिति के नेताओं ने कहा कि एनसीएलटी का यह फैसला उनके लिए पूरी तरह अमान्य है।




