पश्चिमी सिंहभूम, 15 दिसंबर (हि.स.)।
पश्चिमी सिंहभूम जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक अहम फैसले में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को तगड़ा झटका दिया है। सोमवार को आयोग ने फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के नाम पर धोखे से बीमा पॉलिसी बेचने के मामले को अनुचित व्यापार व्यवहार करार देते हुए कंपनी को उपभोक्ता की पूरी राशि लौटाने और हर्जाना देने का आदेश दिया है।
क्या था मामला?
शिकायतकर्ता लक्ष्मी पुर्ती, निवासी तुईबाना, ने अपनी माता जेमा कुई पुर्ती के साथ भारतीय स्टेट बैंक की चाईबासा शाखा में एफडी कराने के इरादे से गई थीं। शिकायत के अनुसार, बैंक कर्मियों ने उन्हें एसबीआई लाइफ के प्रतिनिधि के पास भेज दिया। वहाँ उनसे कुछ कागजातों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए और बाद में पता चला कि ₹2 लाख रुपये की एफडी के बजाय उन्हें ‘रिटायर स्मार्ट प्लस’ नामक एक बीमा पॉलिसी बेच दी गई है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें एफडी का पूरा भरोसा दिया गया था। जब उन्होंने पॉलिसी रद्द करने और अपनी राशि वापस लेने की मांग की, तो कंपनी की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला। इसके बाद, बैंक द्वारा ऑटो-डेबिट के माध्यम से दोबारा ₹2 लाख रुपये काट लिए गए, जिससे उन्हें गंभीर आर्थिक और मानसिक परेशानी हुई।
आयोग का सख्त फैसला
आयोग ने अपने फैसले में यह पाया कि बीमा कंपनी यह साबित करने में पूरी तरह असफल रही कि उपभोक्ता को बीमा उत्पाद की प्रकृति और शर्तों की पूरी जानकारी दी गई थी। आयोग ने स्पष्ट किया कि बीमा को एफडी बताकर बेचना स्पष्ट रूप से अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है, और इस प्रकार उपभोक्ता की सहमति धोखे से ली गई थी।
कंपनी को देना होगा ₹4.5 लाख
उपभोक्ता आयोग ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिया है कि वह 45 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को निम्नलिखित राशि का भुगतान करे:
- मूल राशि वापसी: ₹4 लाख रुपये (काटी गई दोनों किस्तों की राशि)।
- मानसिक पीड़ा हेतु मुआवजा: ₹40,000 रुपये।
- वाद व्यय (केस खर्च): ₹10,000 रुपये।
आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि यदि निर्धारित समय सीमा (45 दिन) के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो कंपनी को पूरी राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।
आदेश की प्रति दोनों पक्षों को नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी और इसे आयोग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा।




