सलगाझूरी स्टेशन पर लोकल ट्रेनों का ठहराव बंद होने से आक्रोश: ग्रामीणों ने दिया धरना, दी बड़े आंदोलन की चेतावनी

जमशेदपुर/पूर्वी सिंहभूम | 22 दिसंबर, 2025

​पूर्वी सिंहभूम जिले के सलगाझूरी रेलवे स्टेशन पर स्थानीय ट्रेनों का ठहराव बंद किए जाने के विरोध में जन-आक्रोश भड़क उठा है। सोमवार को संयुक्त ग्राम समन्वय समिति के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों, मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों ने रेलवे स्टेशन पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया। इस विरोध प्रदर्शन को पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां और भाजपा नेता रमेश हांसदा का भी पुरजोर समर्थन मिला।

​रोजी-रोटी का संकट: ग्रामीणों की व्यथा

​धरनास्थल पर जुटे ग्रामीणों का कहना है कि सलगाझूरी और आसपास के दर्जनों गांवों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से रेल सेवा पर टिकी है।

  • कामगारों की समस्या: बड़ी संख्या में मजदूर और कर्मचारी प्रतिदिन जमशेदपुर, कोलकाता और अन्य औद्योगिक केंद्रों में काम करने के लिए इन्हीं लोकल ट्रेनों का सहारा लेते हैं।
  • शिक्षा पर प्रभाव: कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों के लिए ट्रेन ही आवागमन का सबसे सस्ता और सुलभ माध्यम है।
  • आर्थिक मार: ट्रेनों का ठहराव बंद होने से ग्रामीणों को निजी वाहनों या अन्य महंगे विकल्पों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो उनके बजट से बाहर है।

​करोड़ों का निवेश, फिर भी सन्नाटा

​आंदोलनकारियों ने रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि हाल के वर्षों में सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर सलगाझूरी स्टेशन पर आधुनिक प्लेटफॉर्म और बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। लेकिन विडंबना यह है कि प्लेटफॉर्म तैयार होने के बावजूद ट्रेनों का ठहराव बंद कर दिया गया है, जिससे सरकारी धन की बर्बादी और जनता की असुविधा दोनों बढ़ गई है।

​”सलगाझूरी स्टेशन पर लोकल ट्रेनों का ठहराव केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि यहाँ के गरीब मजदूरों और छोटे व्यापारियों की जीवनरेखा है। रेलवे का यह निर्णय जनविरोधी है।” — दुलाल भुइयां, पूर्व मंत्री

 

​राजनीतिक हस्तियों ने की हस्तक्षेप की मांग

​धरने में शामिल भाजपा नेता रमेश हांसदा ने इस मामले में रेल मंत्रालय और चक्रधरपुर मंडल के DRM (मंडल रेल प्रबंधक) से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि रेलवे को केवल राजस्व की दृष्टि से नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी विचार करना चाहिए। हांसदा ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही ठहराव बहाल नहीं किया गया, तो यह सांकेतिक धरना एक उग्र आंदोलन और ‘रेल रोको’ अभियान में बदल सकता है।

​मुख्य मांगें:

  1. ​सलगाझूरी स्टेशन पर पूर्व की भांति सभी लोकल और पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव तत्काल शुरू हो।
  2. ​ग्रामीणों की सुविधा के लिए सुबह और शाम की ट्रेनों के समय में सामंजस्य बिठाया जाए।
  3. ​नवनिर्मित प्लेटफॉर्म पर यात्री सुविधाओं (पेयजल और रोशनी) को सक्रिय किया जाए।

निष्कर्ष:

संयुक्त ग्राम समन्वय समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि यह आंदोलन तब तक थमेगा नहीं, जब तक कि क्षेत्र के हजारों लोगों को उनका हक नहीं मिल जाता। अब देखना यह है कि रेलवे प्रशासन इस जन-आवाज पर कितनी जल्दी प्रतिक्रिया देता है।

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Author: haqeeqatnaama