रांची | 22 दिसंबर, 2025
राजधानी के तुपुदाना स्थित सप्तऋषि सेवा संस्थान में सोमवार को बाल कल्याण संघ, झारखंड द्वारा ‘सखी संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मानव तस्करी, बाल विवाह और महिलाओं के अधिकारों के प्रति ग्रामीण आबादी को जागरूक करना था।
”शिक्षा और नौकरी के नाम पर हो रहा सौदा”
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया किशोर रहाटकर ने राज्य में मानव तस्करी के बदलते स्वरूप पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तस्कर अब नए और अधिक खतरनाक तरीके अपना रहे हैं:
- शादी का झांसा: सुदूरवर्ती क्षेत्रों की कम उम्र की बच्चियों को विवाह के नाम पर बहला-फुसलाकर तस्करी का शिकार बनाया जा रहा है।
- झूठे वादे: बेहतर शिक्षा, अच्छी नौकरी और उज्ज्वल भविष्य का सपना दिखाकर बेटियों को महानगरों में ले जाकर बेच दिया जाता है।
- विकास की कमी: उन्होंने रेखांकित किया कि विकास की कमी और जागरूकता का अभाव महिलाओं को इस जोखिम की ओर धकेलता है।
जमीनी हकीकत: डायन प्रथा और शिक्षा का संकट
संवाद के दौरान झारखंड के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से आई महिलाओं और किशोरियों ने अपनी व्यथा साझा की। चर्चा में कई कड़वी सच्चाइयाँ सामने आईं:
- सामाजिक कुरीतियाँ: आज भी कई गाँवों में महिलाओं को ‘डायन’ बताकर प्रताड़ित करने की घटनाएं हो रही हैं।
- शिक्षा में ड्रॉपआउट: आर्थिक तंगी और सुरक्षा कारणों से कई लड़कियां आठवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ने को मजबूर हैं।
- घरेलू हिंसा: एकल अभिभावक वाली लड़कियों और महिलाओं को समाज में दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
बाल कल्याण संघ के 30 वर्षों का सफर
संस्था के संस्थापक संजय मिश्र ने बताया कि बाल कल्याण संघ पिछले तीन दशकों से बाल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के लिए धरातल पर कार्य कर रहा है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि संस्था प्रशासन के साथ मिलकर मानव तस्करी जैसी बुराई को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
”महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति न केवल जागरूक होना होगा, बल्कि संगठित होकर इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज भी बुलंद करनी होगी। NCW इस लड़ाई में झारखंड की बेटियों के साथ है।” — विजया किशोर रहाटकर, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां:
- आयोजक: बाल कल्याण संघ, झारखंड।
- स्थान: सप्तऋषि सेवा संस्थान, तुपुदाना (रांची)।
- विषय: मानव तस्करी, बाल विवाह, डायन प्रथा और बालिका शिक्षा।
- प्रतिभागी: दर्जनों ग्रामीण महिलाएं, किशोरी और सामाजिक कार्यकर्ता।




