झारखंड हाई कोर्ट सख्त: सांसदों और विधायकों के आपराधिक मामलों को प्राथमिकता से निपटाने का निर्देश

रांची | 22 दिसंबर, 2025

झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों (सांसदों व विधायकों) के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की धीमी गति पर गंभीर रुख अपनाया है। सोमवार को न्यायमूर्ति रंगोन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि न्याय में देरी न केवल लोकतंत्र के लिए बाधक है, बल्कि यह गवाहों और साक्ष्यों को भी प्रभावित करती है।

​”ट्रायल में देरी का सीधा असर गवाहों पर”

​स्वतः संज्ञान (Suo Motu) से दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को मौखिक रूप से निर्देशित किया कि वे जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों को शीर्ष प्राथमिकता दें। अदालत की प्रमुख टिप्पणियाँ निम्नलिखित रहीं:

  • निष्पक्ष न्याय में बाधा: ट्रायल में अनावश्यक विलंब होने से गवाहों पर दबाव बढ़ने की आशंका रहती है, जिससे निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
  • लोकतंत्र की विश्वसनीयता: जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मामलों का समयबद्ध निपटारा जनता का न्यायपालिका और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।

​राज्य में दो प्रमुख मामले लंबित

​सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को सूचित किया गया कि वर्तमान में झारखंड में सांसदों और विधायकों से जुड़े दो बड़े आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनकी न्यायिक निगरानी की जा रही है। वहीं, सीबीआई की ओर से अदालत में विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ और समय की मांग की गई।

​अगली सुनवाई 11 फरवरी को

​अदालत ने सीबीआई के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तिथि निर्धारित की है। न्यायालय ने आदेश दिया कि अगली तारीख तक जांच एजेंसियां मामलों की प्रगति रिपोर्ट (Progress Report) प्रस्तुत करें और यह सुनिश्चित करें कि ट्रायल के निष्पादन की दिशा में ठोस प्रगति हुई है।

​मामले की मुख्य विशेषताएं:

  • पीठ: न्यायमूर्ति रंगोन मुखोपाध्याय की खंडपीठ।
  • मुख्य निर्देश: सीबीआई को मामलों के शीघ्र निष्पादन का मौखिक आदेश।
  • चिंता का विषय: गवाहों की सुरक्षा और ट्रायल में हो रही देरी।
  • अगली सुनवाई: 11 फरवरी, 2026।
haqeeqatnaama
Author: haqeeqatnaama