रांची | 24 दिसंबर, 2025
झारखंड में ‘पेसा’ (PESA) कानून लागू होने के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब ‘मेसा’ (MESA) को लेकर मांग तेज होने लगी है। आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने पेसा के क्रियान्वयन को जनता के लंबे संघर्ष की जीत तो बताया, लेकिन इसे ‘अधूरा’ करार दिया है।
मुख्य मांग: शहरी क्षेत्रों में भी मिले ग्रामसभा जैसे अधिकार
विजय शंकर नायक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि झारखंड के सर्वांगीण विकास और आदिवासियों की जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा के लिए MESA (म्युनिसिपलिटीज एक्सटेंशन टू शीड्यूल एरिया) का लागू होना अनिवार्य है।
- अधूरा अधिकार: नायक के अनुसार, पेसा केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित है।
- अस्तित्व की रक्षा: शहरी निकायों में मेसा लागू होने पर ही पांचवीं अनुसूची की भावना पूरी होगी।
- स्वशासन: पारंपरिक स्वशासन की पूर्ण बहाली के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आदिवासियों का नियंत्रण आवश्यक है।
”भाजपा की 14 साल की सत्ता, आदिवासियों की उपेक्षा”
विजय शंकर नायक ने भारतीय जनता पार्टी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि राज्य में 14 वर्षों तक शासन करने के बावजूद भाजपा ने पेसा को ठंडे बस्ते में डाल कर रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने जानबूझकर ग्रामसभा की शक्तियों को कमजोर किया और संवैधानिक अधिकारों का हनन किया।
“यह कानून आदिवासी समाज की अस्मिता से जुड़ा है। भाजपा ने जो अन्याय किया, उसे अब सुधारा जा रहा है, लेकिन हमारी लड़ाई अब पेसा को ईमानदारी से जमीन पर उतारने और मेसा बिल पारित कराने की है।” – विजय शंकर नायक
न्यूज़ रिपोर्टिंग के लिए ज़रूरी शब्दावली (Professional Jargon):
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- क्रियान्वयन (Implementation): किसी कानून को लागू करने की प्रक्रिया।
- ऐतिहासिक जीत (Historical Victory): बड़े संघर्ष के बाद मिली उपलब्धि।
- अनदेखी (Negligence): किसी मुद्दे को बार-बार नजरअंदाज करना।
- संवैधानिक अधिकार (Constitutional Rights): संविधान द्वारा दिए गए हक।
PESA और MESA में अंतर (समझने के लिए)
- PESA: अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम पंचायतों में स्वशासन सुनिश्चित करता है।
- MESA: यह अनुसूचित क्षेत्रों की नगरपालिकाओं (शहरों) के लिए प्रस्तावित कानून है।



