झारखंड सरकार ने बड़े प्रशासनिक फेरबदल के तहत राज्य के 30 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार कई वरिष्ठ अधिकारियों के प्रभारों में बदलाव किए गए हैं।
मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं :
डीजीपी अनुराग गुप्ता को सीआईडी और ईसीबी के प्रभार से मुक्त किया गया।
डीजी वायरलेस प्रशांत सिंह को डीजी मुख्यालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
सुमन गुप्ता को रेल एडीजी नियुक्त किया गया।
प्रिया दुबे को एसीबी का एडीजी बनाया गया।
रांची आईजी मनोज कौशिक को सीआईडी आईजी का प्रभार दिया गया।
बोकारो आईजी क्रांति कुमार गडीदेशी को आईजी मानवाधिकार नियुक्त किया गया।
नरेंद्र कुमार सिंह को आईजी निगरानी सह सुरक्षा, झारखंड विद्युत बोर्ड बनाया गया।
दुमका आईजी शैलेंद्र सिन्हा को पलामू आईजी नियुक्त किया गया।
सुदर्शन मंडल को आईजी मुख्यालय बनाया गया, साथ ही जेल आईजी का प्रभार भी रहेगा।
सुनील भास्कर को बोकारो जोनल आईजी नियुक्त किया गया।
पटेल मयूर कन्हैयालाल को दुमका जोनल आईजी का प्रभार दिया गया।
संजीव कुमार को डीआईजी एसआईबी बनाया गया।
चाईबासा एसपी राकेश रंजन को रांची का नया एसएसपी नियुक्त किया गया।
शैलेंद्र प्रसाद बरनवाल को डीआईजी सब बनाया गया।
मनोज रतन को डीआईजी स्पेशल ब्रांच नियुक्त किया गया।
पलामू डीआईजी नौशाद आलम अंसारी को पुलिस मुख्यालय में योगदान देने का आदेश।
अजीत पीटर डुंगडुंग को संयुक्त निदेशक, झारखंड पुलिस अकादमी, हजारीबाग नियुक्त किया गया।
रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा को एसीबी डीआईजी बनाया गया।
अरविंद कुमार सिंह को एसपी स्पेशल ब्रांच नियुक्त किया गया।
एहतेशाम वकारिब को सीआईडी एसपी बनाया गया।
अमित रेनू को चाईबासा एसपी नियुक्त किया गया।
सौरभ को देवघर एसपी बनाया गया।
रांची सिटी एसपी अजीत कुमार को रेल एसपी जमशेदपुर नियुक्त किया गया।
दीपक कुमार पांडे को एसपी स्पेशल ब्रांच बनाया गया।
अनिमेष नैथानी को एसीबी एसपी नियुक्त किया गया।
कैलाश करमाली को रेल एसपी धनबाद बनाया गया।
मनोज स्वर्गीयरी को जैप-3 गोविंदपुर का कमांडेंट नियुक्त किया गया।
मूमल राजपुरोहित को जैप-8 का कमांडेंट बनाया गया।
पारस राणा को सिटी एसपी रांची नियुक्त किया गया, साथ ही जैप-10 का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
राकेश सिंह को ट्रैफिक एसपी रांची बनाया गया और उन्हें वायरलेस एसपी का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।
सरकार ने कहा कि यह तबादला प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवश्यक है और राज्य में कानून-व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।



