हकीकत नामा संवादाता, रांची, 2
कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की झारखंड राज्य कमिटी ने आदिवासी और कुड़मी समुदायों के बीच पहचान आधारित विभाजन पर गंभीर चिंता जताई है। पार्टी ने कहा है कि यह प्रवृत्ति राज्य की सामाजिक एकता और सामूहिक प्रगति के लिए घातक है। माकपा ने घोषणा की है कि दोनों समुदायों की एकजुटता बनाए रखने तथा किसान, युवा और मेहनतकश तबकों को साथ लाने के लिए राज्यव्यापी अभियान चलाया जाएगा।बैठक में कहा गया कि दोनों समुदायों में बड़ी संख्या में ऐसे प्रगतिशील लोग हैं जो विभाजनकारी राजनीति को अस्वीकार कर रहे हैं। पार्टी ने निर्णय लिया कि इनसे सक्रिय संवाद बढ़ाकर परस्पर संपर्क और सहयोग मजबूत किया जाएगा।राज्य कमिटी ने सरकारी ब्लड बैंक की जर्जर हालत और छह जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड में सौंपे जाने पर कड़ा विरोध व्यक्त किया। माकपा नेताओं ने कहा कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था कमजोर होगी और गरीब तबकों की पहुंच सीमित हो जाएगी।संताल परगना और कोल्हान क्षेत्र में खनन तथा खनिज परिवहन से फैल रहे प्रदूषण, सड़क दुर्घटनाओं और कृषि योग्य भूमि के नष्ट होने पर भी गहरी चिंता जताई गई। प्रभावित इलाकों का सर्वे कर मांग पत्र तैयार कर आंदोलन शुरू करने की घोषणा की गई।इसके अलावा, अंचल कार्यालयों में लंबित दाखिल–खारिज आवेदनों पर त्वरित कार्रवाई, गैर–मजरुआ भूमि की रसीद जारी करने तथा बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना–प्रदर्शन करने का भी निर्णय लिया गया।बैठक में केरल की वाम जनवादी मोर्चा सरकार द्वारा अत्यंत गरीबी समाप्त किए जाने के ऐतिहासिक कार्य की सराहना करते हुए 7 नवंबर (समाजवादी क्रांति दिवस) से 15 नवंबर (झारखंड स्थापना दिवस) तक “केरल मॉडल” के समर्थन में राज्यव्यापी जन-अभियान चलाने का फैसला किया गया। इस दौरान सभाएं, सेमिनार, परिचर्चाएं और गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।



