रांची, 10 दिसंबर (रिपोर्ट: हिन्द.स.)।
शीतकालीन सत्र: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन बुधवार को नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने दिल्ली स्थित झारखंड भवन और ऊर्जा विभाग के गेस्ट हाउस में ठहरने की व्यवस्था और नियमों को लेकर गंभीर सवाल उठाए। सदन में नल-जल योजना और अबुआ आवास से जुड़े मुद्दे भी प्रमुखता से उठाए गए।
झारखंड भवन नियमों पर आपत्ति:
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कैबिनेट निगरानी विभाग द्वारा झारखंड भवन में ठहरने संबंधी बनाए गए नियम पर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कैबिनेट का यह निर्णय कि “केवल विधायकों के सगे संबंधी ही झारखंड भवन में रह सकते हैं,” पूरी तरह गलत है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
मरांडी ने आरोप लगाया कि पूर्व में मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने आलोक दूबे और लाल किशोर नाथ शाहदेव को ठहराने के लिए “संबंधी” बनाकर उनकी अनुशंसा की थी। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की कि झारखंड भवन के पिछले पांच वर्षों का रजिस्टर मंगाया जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वास्तविक रूप से वहां कौन-कौन ठहरता रहा है।
ऊर्जा विभाग के गेस्ट हाउस पर सवाल:
मरांडी ने दिल्ली स्थित ऊर्जा विभाग के गेस्ट हाउस को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस गेस्ट हाउस के लिए हर महीने पांच लाख रुपये किराया देती है।
- यहां 8 स्टाफ तैनात हैं।
- 4–5 वाहन उपलब्ध हैं।
मरांडी ने पूछा कि क्या इतना खर्च करने के बावजूद इस गेस्ट हाउस में अब तक कोई विधायक ठहरा भी है या नहीं? उन्होंने इस गेस्ट हाउस के रजिस्टर, ठहरने वालों की सूची, संचालन व्यवस्था, पदस्थ इंचार्ज और आवंटन प्रक्रिया की जानकारी सदन के सामने रखने की मांग की।
संसदीय कार्य मंत्री का आश्वासन:
बाबूलाल मरांडी द्वारा उठाए गए इन गंभीर सवालों पर राज्य के संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सदन को आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और सरकार इस पर गंभीरता से कार्रवाई करेगी।
मंत्री किशोर ने यह भी कहा कि इस तरह का कोई भी निर्णय कैबिनेट की स्वीकृति के बिना नहीं लिया जा सकता। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की ओर से उठाई गई सभी मांगों की जांच कराए जाने का आश्वासन दिया।



