रांची, 10 दिसंबर (हि.स.)। झारखंड सरकार ने 1 जनवरी 1948 को हुए खरसावां गोलीकांड की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की है। यह महत्वपूर्ण घोषणा मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान की।
मंत्री ने सदन को बताया कि इस ऐतिहासिक और दुखद घटना की जांच के लिए पहले 9 जनवरी 2015 को एक समिति का गठन किया गया था। समिति द्वारा व्यापक जांच-पड़ताल की गई, लेकिन अब तक घटना में केवल दो लोगों का ही नाम सामने आ सका है।
समिति की जांच और स्थानीय दावे
मंत्री ने आगे बताया कि जांच समिति के अनुसार, घटना के समय खरसावां में लगभग 50 हजार से एक लाख लोगों की भीड़ मौजूद थी। समिति के सदस्यों ने घटना की जांच के लिए पड़ोसी राज्यों ओडिशा और पश्चिम बंगाल का दौरा भी किया था।
स्थानीय लोगों द्वारा खरसावां गोलीकांड को ‘दूसरा जालियावाला हत्याकांड’ बताया जाता है, जो इसकी भयावहता को दर्शाता है।
विधायक ने उठाई मांग
यह मामला झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक दशरथ गगराई ने ध्यानाकर्षण सूचना के तहत उठाया। उन्होंने सरकार से तीन प्रमुख मांगें की:
- घटना में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाए।
- मृतकों की सही संख्या का पता लगाने के लिए उच्च-स्तरीय जांच कराई जाए।
विधायक गगराई ने स्थानीय लोगों के दावों का उल्लेख करते हुए कहा कि मारे गए लोगों के शवों को पास के कुओं में डाल दिया गया था, और कुछ शवों को ट्रक में लादकर पहाड़ों पर फेंक दिया गया था। उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जहां देश भर में 1 जनवरी को नए साल का जश्न मनाया जाता है, वहीं उनके क्षेत्र के लोग इस दिन शोक में डूबे रहते हैं।
इन मांगों पर कार्रवाई करते हुए, मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने सरकार की ओर से खरसावां गोलीकांड की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की।



