रांची, 11 दिसंबर (हि.स.)। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को झामुमो के विधायक समीर कुमार मोहंती ने गैर-संकल्प के तहत माल और दंडछत्र माझी जाति को अनुसूचित जाति (SC) वर्ग में शामिल करने की मांग उठाई।
विधायक की मांग और तर्क
मोहंती ने कहा कि झारखंड में पूर्वी सिंहभूम, दुमका, पाकुड़ और गोड्डा जैसे जिलों में बड़ी संख्या में माल और दंडछत्र माझी जाति के लोग निवास करते हैं।
- लंबित मांग: उन्होंने बताया कि बिहार सरकार के समय से ही इन समुदायों को एससी वर्ग में शामिल करने की मांग बार-बार की जा रही है, लेकिन राज्य सरकार कोई पहल नहीं कर रही है।
- अन्य राज्यों का उदाहरण: मोहंती ने तर्क दिया कि इसी समुदाय को पश्चिम बंगाल में एससी का दर्जा दिया गया है और ओडिशा में ब्राह्मण समुदाय के वर्ग में रखा गया है।
- समानता: उन्होंने कहा कि झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले इस समुदाय का रहन-सहन और तौर-तरीका सब कुछ एससी समुदाय से मिलता-जुलता है, बावजूद इसके इन्हें एससी में शामिल न करना विडंबना है।
सरकार का जवाब: मामला केंद्र से संबंधित
इस मामले पर प्रभारी मंत्री दीपक बिरुआ ने जवाब देते हुए कहा कि किसी समुदाय को एससी में शामिल करने का निर्णय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (TRI) की रिपोर्ट के आधार पर तय होता है, जो समुदाय के रहन-सहन और काम करने के तौर-तरीकों का आकलन करती है।
- प्रस्ताव रद्द: मंत्री ने बताया कि इस वर्ग के पूर्व में दो बार एससी में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव रद्द हो चुके हैं, जिस वजह से यह अब संभव नहीं है।
- अधिकार क्षेत्र: उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला केंद्र सरकार से जुड़ा हुआ है। टीआरआई की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित जातीय प्रस्ताव पर भारत सरकार निर्णय लेगी।
- भविष्य की पहल: मोहंती की इस मांग पर कि राज्य सरकार को पहले अपने स्तर से सर्वे करना चाहिए, मंत्री दीपक बिरुआ ने आश्वासन दिया कि जब भारत सरकार की ओर से जनगणना का कार्य शुरू होगा, तब इसे राज्य सरकार अपने स्तर से देखेगी।



