जमशेदपुर | 20 दिसंबर, 2025 जमशेदपुर के टेल्को स्थित गुलमोहर हाई स्कूल के प्रांगण में शनिवार को भविष्य की तकनीक और नन्हें वैज्ञानिकों की मेधा का अद्भुत संगम देखने को मिला। अवसर था ‘होराइजन–2025’ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्निवल का, जहाँ दयानंद पब्लिक स्कूल ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए ‘ओवरऑल विजेता’ की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।
संस्कृति और तकनीक का अनूठा मेल
कार्यक्रम का आगाज प्राइमरी सेक्शन के नन्हें विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हुआ। उद्घाटन सत्र का मुख्य आकर्षण ‘टेक ट्रेंडसेटर्स’ नामक रैम्प वॉक रहा। इसमें बच्चों ने आधुनिक तकनीकी विषयों को रचनात्मक परिधानों और प्रस्तुतियों के जरिए रैम्प पर उतारा, जिसे देखकर दर्शक दीर्घा में बैठे लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
वैश्विक दृष्टि और आधुनिक शिक्षा
इस भव्य आयोजन में टाटा मोटर्स के संयंत्र प्रमुख (प्लांट हेड) सुनील कुमार तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने विद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित ‘अंतरराष्ट्रीय क्वांटम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी वर्ष (2025)’ की भावना को धरातल पर उतारने जैसा है।
”ऐसे मंच बच्चों को रटंत विद्या से दूर कर भविष्य की वास्तविक चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं। यह विद्यालय की आधुनिक शिक्षा पद्धति और वैश्विक दृष्टि का परिचायक है।” — सुनील कुमार तिवारी, मुख्य अतिथि
नन्हें हाथों में भविष्य की चाबी
कार्निवल में कक्षा 1 से 8 तक के सैकड़ों विद्यार्थियों ने अपनी वैज्ञानिक सोच का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी में आकर्षण के मुख्य केंद्र रहे:
- रोबोटिक्स और AI: कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित उन्नत वर्किंग मॉडल।
- सामाजिक सरोकार: दृष्टिबाधित व्यक्तियों की सहायता के लिए बनाए गए विशेष उपकरण।
- पर्यावरण संरक्षण: कचरा पृथक्करण (Waste Segregation) की स्मार्ट प्रणाली और जैव-अपघटनीय (Biodegradable) नवाचार।
टाटा मोटर्स के विशेषज्ञों ने इन परियोजनाओं का सूक्ष्म निरीक्षण किया और बच्चों के ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ आइडियाज की जमकर प्रशंसा की।
विजेता और उपविजेता
शहर के 25 प्रतिष्ठित स्कूलों के बीच कड़ी टक्कर के बाद परिणामों की घोषणा की गई:
- ओवरऑल विजेता: दयानंद पब्लिक स्कूल
- प्रथम उपविजेता: लोयोला स्कूल, टेल्को
विद्यालय की प्राचार्या प्रीति सिन्हा ने सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि इस आयोजन का असली उद्देश्य बच्चों में जिज्ञासा और समस्या समाधान की क्षमता विकसित करना है। उन्होंने इसे सामाजिक जिम्मेदारी की ओर एक छोटा लेकिन सशक्त कदम बताया।



