रांची | 20 दिसंबर, 2025
झारखंड पुलिस की अपराध अनुसंधान विभाग (CID) ने साइबर अपराधियों के खिलाफ एक बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की है। रांची साइबर क्राइम थाना की टीम ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में छापेमारी कर योगेश सिंह सिसोदिया नामक मुख्य आरोपित को गिरफ्तार किया है। योगेश पर खुद को केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को “डिजिटल अरेस्ट” करने और करोड़ों की ठगी करने का आरोप है।
30 लाख की ठगी ने खोला राज
इस हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी का खुलासा करते हुए साइबर सेल की डीएसपी नेहा बाला ने बताया कि यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2024 को दर्ज कांड संख्या 118/24 की जांच के दौरान हुई। रांची के एक पीड़ित को अपराधियों ने अपना शिकार बनाया था। ठगों ने खुद को प्रवर्तन एजेंसियों का बड़ा अधिकारी बताया और पीड़ित पर फर्जी कानूनी मामलों का डर दिखाकर 30 लाख रुपये की मोटी रकम पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में ट्रांसफर करवा ली थी।
क्या है डिजिटल अरेस्ट का जाल?
गिरफ्तार आरोपित योगेश सिंह सिसोदिया का गिरोह बेहद शातिर तरीके से काम करता था। डीएसपी ने इसके काम करने के तरीके (Modus Operandi) पर प्रकाश डाला:
- फेक कॉल: अपराधी पीड़ित को वीडियो कॉल कर खुद को CBI, ED या पुलिस अधिकारी बताते हैं।
- मानसिक दबाव: पीड़ित को बताया जाता है कि उनके नाम पर अवैध पार्सल या मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है।
- डिजिटल अरेस्ट: स्काइप या व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर पीड़ित को घंटों ‘नजरबंद’ रखा जाता है और गिरफ्तारी का भय दिखाकर पैसे वसूले जाते हैं।
देशभर में 10 से ज्यादा मामले दर्ज
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि योगेश केवल रांची ही नहीं, बल्कि देशभर के साइबर ठगों के रडार पर था। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (I4C) के डेटा के अनुसार, आरोपित के खिलाफ देश के विभिन्न राज्यों में कुल 10 शिकायतें दर्ज हैं। पुलिस ने उसके पास से अपराध में प्रयुक्त मोबाइल फोन और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
बैंक ‘म्यूल’ खातों और हैंडलर्स की तलाश जारी
सीआईडी अब इस नेटवर्क की गहराई तक जाने की कोशिश कर रही है। पुलिस उन ‘बैंक म्यूल’ (किराए के खातों) की पहचान कर रही है, जिनका इस्तेमाल ठगी की रकम को खपाने के लिए किया गया था। डीएसपी नेहा बाला ने कहा कि इस गिरोह के अन्य लाभार्थियों और हैंडलर्स को जल्द ही सलाखों के पीछे भेजा जाएगा।
सतर्क रहें: “किसी भी केंद्रीय एजेंसी के पास वीडियो कॉल के जरिए किसी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने का अधिकार नहीं है। ऐसी कॉल आने पर तुरंत 1930 पर शिकायत दर्ज करें।” — साइबर सेल, रांची



